एनएमडीसी और वन विभाग में तनातनी : हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी शुरू नहीं हो सका लौह अयस्क परिवहन

बिप्लव मलिक-दंतेवाड़ा / किरंदुल। दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल बचेली में स्थापित भारत सरकार की नवरत्न कंपनियों में से एक एनएमडीसी पर वन विभाग का 144 करोड़ बकाया है, इसलिए लोडिंग परिवहन व रेलवे का कार्य 5वें दिन भी ठप रहा। वन विभाग के रोक से इन दिनों इस कार्य में जुटे ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं और लोडिंग प्लांट में दिनभर सन्नाटा पसरा रहता है। वन विभाग ने कोर्ट के आदेश के बाद भी जब्त टीपी नहीं लौटाया। इस कारण एनएमडीसी के अधिकारी वन विभाग का चक्कर लगा रहे हैं।विदित हो कि इन दिनों एनएमडीसी और वन विभाग के बीच टीपी को लेकर विवाद चल रहा है। एनएमडीसी द्वारा न्यायालय की शरण में जाने से अब यह मामला राज्य शासन और वन विभाग के आत्मसम्मान का हो गया है। 2002 से 2012 के बीच ट्रांजिट पास की बकाया राशि का तकाजा करते हुए वन विभाग द्वारा खनिज परिवहन पास को जब्त कर टीपी पर प्रतिबंध लगाए जाने और एनएमडीसी द्वारा उच्च न्यायालय से वन विभाग की कार्रवाई को चुनौती देते हुए कार्रवाई पर स्टे आदेश लाने के बावजूद वन विभाग ने जब्त टीपी एनएमडीसी को रविवार छुट्टी होने का हवाला देते नहीं लौटाया।इसके चलते रविवार को भी लोडिंग प्लांट में रैक लोडिंग नहीं हो पाई। हालात का अंदाजा लगाते हुए एनएमडीसी ने पहले से ही लोडिंग प्लांट में एक भी रैक नहीं रखा, जिससे रेलवे को डेमरेज के नुकसान से तो एनएमडीसी बच गई, पर एक भी रैंक डिस्पेच नहीं होने से लगभग 50 करोड़ का नुकसान एनएमडीसी को उठाना पड़ रहा है।एनएमडीसी देगा 7 रुपए प्रति टन खनिज परिवहन शुल्कयह है मामला 2012 को राज्य शासन ने आदेश जारी कर 2002 से 7 रुपए प्रति टन खनिज परिवहन शुल्क वन विभाग को दिए जाने का आदेश एनएमडीसी को दिया। एनएमडीसी इस प्रकार के कर अपने ग्राहकों से वसूलता है। एनएमडीसी 2012 के बाद से लगातार निर्धारित अभिवहन पास शुल्क लौह अयस्क के खरीदारों से लेकर वन विभाग में जमा कर रहा है।वन विभाग ढील बरतने को तैयार नहीं2012 से पूर्व विक्रय किए जा चुके माल का शुल्क ग्राहकों से वसूल पाना एनएमडीसी के लिए मुश्किल काम है। अब वन विभाग एनएमडीसी पर किसी भी सूरत में बकाया शुल्क जमा करने का दबाव डाल रहा है, जिसके चलते मामला न्यायालयीन हो गया है, पर शासन के आदेश पर वन विभाग किसी भी सूरत में ढील बरतने को तैयार नहीं है

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