
हाल ही में पारित आदेश में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि किरण बेदी से सुनवाई की अगली तारीख पर मामले में इस अदालत की सहायता करने का आग्रह किया जाता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वयंभू आध्यात्मिक गुरु वीरेंद्र देव दीक्षित द्वारा रोहिणी में स्थापित एक आश्रम में रहने वाली महिलाओं के कल्याण से संबंधित मामले में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की रिटायर्ड अधिकारी किरण बेदी (Kiran Bedi) की सहायता मांगी है।हाईकोर्ट ने इससे पहले रोहिणी स्थित ‘आध्यात्मिक विद्यालय’ के कामकाज की निगरानी के लिए किरण बेदी की देखरेख में एक कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल बेदी को मामले को सात अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की जानकारी दी जाए। हाल ही में पारित आदेश में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि किरण बेदी से सुनवाई की अगली तारीख पर मामले में इस अदालत की सहायता करने का आग्रह किया जाता है।दिल्ली महिला आयोग को सौंपी किरण बेदी को सूचित करने की जिम्मेदारीबेंच ने कहा कि दिल्ली महिला आयोग की तरफ से पेश विद्वान वकील को किरण बेदी को यह सूचित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है कि मौजूदा मामले को सात अक्टूबर 2022 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। रजिस्ट्रार जनरल भी किरण बेदी को मामले को सात अक्टूबर 2022 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की जानकारी देंगे. 2017 में गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘फाउंडेशन ऑफ सोशल एम्पॉवरमेंट’ ने यह आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था कि कई नाबालिग लड़कियों और महिलाओं को ‘आध्यात्मिक विद्यालय’ में अवैध रूप से बेहद खराब परिस्थितियों में रखा जा रहा है और उन्हें उनके अभिभावकों से मिलने की अनुमति नहीं है।कई साल से फरार है वीरेंद्र देव दीक्षितइसके बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को आश्रम के संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित का पता लगाने को कहा था। अदालत ने जांच एजेंसी को नाबालिग लड़कियों और महिलाओं को आश्रम में कथित तौर पर अवैध रूप से बेहद खराब परिस्थितियों में रखे जाने के आरोपों की जांच करने का भी निर्देश दिया था। ऐसा दावा किया गया है कि कांटेदार तारों से घिरे ‘किले’ (आध्यात्मिक विद्यालय) में लड़कियों और महिलाओं को धातु से बने दरवाजे के पीछे ‘जानवरों जैसी’ परिस्थितियों में रखा जा रहा है।हाईकोर्ट ने आध्यात्मिक विद्यालय के परिसर का मुआयना करने के लिए तत्काल एक कमेटी भी बनाई थी, जिसमें दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल और वकील अजय वर्मा व नंदिता राव शामिल थे। कमेटी ने आश्रम में सौ से अधिक लड़कियों और महिलाओं के रहने की बेहद ‘भयानक’ स्थिति का विवरण देते हुए एक रिपोर्ट सौंपी थी। उसने कहा था कि इन लड़कियों और महिलाओं को ‘जानवरों जैसी परिस्थितियों में रखा जा रहा है, जहां उनकी कोई निजता नहीं है, यहां तक कि नहाने के दौरान भी।