एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण को लेकर हरियाणा सरकार गंभीर। 

हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में स्थाई सुधार के लिए बनाई गई नीति के तहत कार्य योजना तैयार की है। इस संबंध में मुख्य सचिव संजीव कौशल ने संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें तय कार्य योजना के अनुसार निश्चित समयावधि में अपने-अपने कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए

 मुख्य सचिव संजीव कौशल ने सोमवार को चंडीगढ़ में  दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में स्थाई सुधार के लिए बनाई गई नीति के तहत उन्हें तय कार्य योजना के अनुसार निश्चित समयावधि में अपने-अपने कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य इस कार्य योजना को जमीनी स्तर पर प्रभावी तरीके से लागू कर वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाना है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बनाई गई इस कार्य योजना में तत्काल और बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने की रणनीति बनाई गई है। समावेशी, किफायती और इनोवेटिव दृष्टिकोण के बल पर ही वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सीएक्यूएम की नीति की पूरी सख्ती से पालना सुनिश्चित की जाए। दिल्ली-एनसीआर में मौजूदा वायु गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विभिन्न क्षेत्रों पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है। मुख्य सचिव ने कहा कि इस नीति में उद्योग, परिवहन, निर्माण, सडक़ों और खुले क्षेत्रों से धूल, सॉलिड वेस्ट और फसल अवशेष जलाना आदि कारकों को शामिल किया हैं। नीति में थर्मल पावर प्लांट, स्वच्छ ईंधन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, सार्वजनिक परिवहन, सडक़ यातायात प्रबंधन, डीजल जनरेटर, हरियाली और वृक्षारोपण के माध्यम से वायु प्रदूषण को कम करने के उपायों पर जोर दिया गया है। 

बैठक में बताया गया कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा एमएसडब्ल्यू और लैंडफिल में आग जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण, सी एंड डी परियोजनाओं से धूल का प्रबंधन, प्रभावी धूल नियंत्रण उपायों की निगरानी, सी एंड डी अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधा के लिए योजना बनाना और बुनियादी ढांचे का विकास करना, सड़कों और खुले क्षेत्रों से धूल नियंत्रण, अतिरिक्त यांत्रिक स्वीपिंग और छिड़काव मशीनों की व्यवस्था, खुले क्षेत्रों को हरा-भरा करना इत्यादि कार्य किए जा रहे हैं। इसी प्रकार, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा औद्योगिक कचरा जलाने पर नियंत्रण के लिए व्यापक योजना बनाना, स्वच्छ ईंधन में परिवर्तन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और जनरेटर सेट का सीमित उपयोग सुनिश्चित कर रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन के लिए एक्स सीटू तथा इन-सीटू प्रबंधन सहित समुचित व्यवस्था की जा रही है। राज्य में हरियाली, वृक्षारोपण कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए नगर वन और नगर वाटिका का विस्तार करने पर जोर दिया जा रहा है। सीमित शहरी क्षेत्रों में सघन वृक्षारोपण के लिए मियावाकी तकनीक का उपयोग करने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा, सामूहिक वृक्षारोपण अभियान के लिए व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे।

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