
भोपाल। भगवान शिव और देवी पार्वती के अर्धनारीश्वर रूप अर्थात प्रकृति व पुरुष उन सिद्धांतों को प्रतिबंधित करती है, जो दिखाते हैं कि पुरुष स्त्री एक दूसरे से अलग नहीं हैं बल्कि ब्रह्मांड में विलोम का मिलन है और पुरुषार्थ व प्रकृति अर्धनारीश्वर का ही रूप है। अर्धनारीश्वर के रूप में यह युगल प्रस्तुति देखने को मिली गुरुवार शाम रंग श्री लिटिल बैले ट्रुप में जारी अमृत कलोत्सव में। कलोत्सव के तीसरे दिन गायन, नृत्य व नाटिका के मंचन के साथ धागा पुतुल प्रस्तुति ने दर्शकों को रोमांचित किया।डागर शैली में प्रस्तुत किया ध्रुपद वृंदउत्सव में पहली प्रस्तुति ध्रुपद वृंद की रही, जिसे दिव्यांशु शुक्ला, मिलन रिजाल, संतोष कुमार व देवी प्रसाद ने प्रस्तुत किया। ध्रुपद गायकी की डागर वाणी शैली में इन्होंने ध्रुपद वृंद को प्रस्तुत करके कलारसिकों को कर्णप्रिय ध््राुपद शैली से परिचित कराया।पपेट शो के रुप में दर्शाई अमर सिंह की गाथा इसकी अगली कड़ी में नौरंग भाट पपेट ग्रुप के द्वारा राजस्थान के पारंपरिक धागा पुतुल प्रस्तुति ‘अमर सिंह राठौर’ को प्रस्तुत किया। जिसका निर्देशन रवि भट्ट ने किया, प्रस्तुति के माध्यम से दर्शाया कि अमर सिंह राठौर 17 वीं शताब्दी में नागौर का शासक था और अपनी प्रजा व कलाओं का महान संरक्षक था। इस प्रस्तुति में उसकी वीरगाथा और मृत्यु को दशार्या,इन लोगों का मानना ह कि पुतुल कला नागौर से ही उठी है।विभिन्न ताल अनेकानेक पथ संचालन से प्रस्तुत किया तिल्लानाअमृत कलोत्सव की एक से बढ़कर एक मनभावन प्रस्तुतियों की अगले कड़ी में वशीम राजा व ग्रुप द्वारा कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी गई, गुरु वनश्री के मार्गदर्शन में वशीम राजा व मऊतुशि मजूमदार ने तीन कुचिपुड़ि नृत्य प्रस्तुतियां दीं। जिसमें प्रथम युगल प्रस्तुति ‘प्रणवकारम’ की रही, मंगल कार्य में भगवान गणेश की कृपा के लिए स्तुति के रूप में यह प्रस्तुति दी, वहीं अगली प्रस्तुति अर्द्धनारिश्वर की अंतिम प्रस्तुति के रूप में कलाकारों ने तिल्लाना की प्रस्तुति दी, जिसमें विभिन्न ताल अनेकानेक पथ संचालन प्रदर्शित करते हुए कुचिपुÞड़ि नृत्य प्रस्तुति को विराम दिया।अंतिम कड़ी में विजयदान देथा की कहानियों पर आधारित नाटक ‘बिज्जी कहिन’ का मंचन किया गया, प्रश्न सोनी के निर्देशन में तैयार नाटक में पारंपरिक शैली व संगीत के माध्यम से एक जीवन दर्शन को दिखाने की कोशिश की गई, जिसमें दिखाया कि आज का समाज विभिन्न धार्मिक विचारों, असमानताओं व गलत व्याख्याओं के साथ पूर्वाग्रहों से भरा हुआ है और धर्मों के तथाकथित ठेकेदार आम जनता को भटकाने का काम कर रहे हैं, इस नाटक में इन मुद्दों पर प्राचीन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया और यह नाटक दो कहानियों से मिलकर बना है, जिनमें ईश्वर एक पृथक व विशिष्ट रूप में प्रस्तुत होता है और लोगों को मानवता का रास्ता दिखाता है।