Mohan Bhagwat LIVE: RSS का जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने पर जोर, भागवत बोले- किसी को छूट नहीं मिले

Mohan Bhagwat Live Dussehra Speech 2022 : आरएसएस प्रमुख मोहन भावगत हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी विजयादशमी पर अपने स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे हैं। उनके इस संबोधन पर देशभर की निगाहें हैं। सरसंघचालक अपने दशहरा व्याख्यान में देश-दुनिया के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करते हैं जिनपर सबकी निगाहें लगी रहती हैं।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस (RSS) ने एवरेस्ट विजेता पद्मश्री संतोष यादव को अपना विजयादशमी समारोह का मुख्य अतिथि बनाया है। यह पहला मौका है जब आरएसएस ने किसी महिला को अपने दशहरा कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाया है। संतोष यादव ने सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ पूजा-अर्चना की। अब सरसंघचालक स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने नागपुर के आरएसएस मुख्यालय में परंपरागत शस्त्र पूजा की है। सरसंघचालक ने अपने संबोधन में कहा कि हम कौन हैं, हमारी आत्मा क्या है, इसकी स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए। अगर हमें यह जानकारी होगी तो हमें प्रगति का रास्ता साफ-साफ दिखेगा। भागवत ने अपने संबोधन में और क्या-क्या कहा, आइए जानते हैं…जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने, सब पर समान रूप से लागू हो, किसी को छूट नहीं मिले, ऐसी नीति लाना चाहिए। 70 करोड़ से ज्यादा युवा हैं हमारे देश में। चीन को जब लगा कि जनसंख्या बोझ बन रही है तो उसने रोक लगा दी। हमारे समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा। नौकरी-चाकरी में भी अकेली सरकार और प्रशासन कितना रोजगार बढ़ा सकती है? समाज अगर ध्यान नहीं देता है तो होता है।समाज में समानता और सबको सम्मान का भाव रखना होगा: भागवतमंदिर, पानी, श्मसान नहीं सबके लिए समान हो, इसकी व्यवस्था तो सुनिश्चित करनी ही होगी। ये घोड़ी चढ़ सकता है, वो घोड़ी नहीं चढ़ सकता, ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें तो हमें खत्म करनी होंगी। सबको एक-दूसरे का सम्मान करना होगा। हमें समाज का सोचना होगा, सिर्फ स्वयं का नहीं। कोरोना काल में समाज और सरकार ने एकजुटता दिखाई तो जिनकी नौकरी गई, उन्हें काम मिला। आरएसएस ने भी रोजगार देने में मदद की। उधर, सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि लोग बीमार ही नहीं हों। उपचार तो बीमारी के बाद होता है।संस्कार सिर्फ स्कूल-कॉलेजों से नहीं बन सकते: RSS प्रमुखसामाजिक आयोजनों में, जनमाध्यमों के द्वारा, नेताओं के द्वारा संस्कार मिलते हैं। केवल कॉलेजों से संस्कार नहीं मिलते हैं। केवल स्कूली शिक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। सबसे ज्यादा प्रभाव घर के वातावरण, समाज के वातावरण का होता है। नई शिक्षा नीति की बहुत बातें हो रही हैं, लेकिन क्या हम अपनी भाषा में पढ़ना चाहते हैं? एक भ्रम है कि अंग्रेजी से रोजगार मिलता है। ऐसा नहीं है। रास्ता निकालने वाले को लचीलापन धारण करना पड़ता है: भागवतकोरोना से विपदा से बाहर आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रास्ते पर आ रही है और वो आगे जाएगी, इसकी भविष्यवाणी पूरी दुनिया के विशेषज्ञ कर रहे हैं। खेल क्षेत्र में भी बहुत सुधार हुआ है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन से हमारा सीना गौरव से फूल जाता है। हमें प्रगति करनी है तो स्वयं को जानना होगा। हमें परिस्थितियों के अनुकूल लचीला होना पड़ता है। हालांकि, हम ये देखना होगा कि कितना लचीला होना और किन परिस्थितियों में होना है। अगर वक्त की मांग के अनुसार खुद को नहीं बदलेंगे तो यह हमारी प्रगति का बड़ा बाधक साबित होगा।हमेशा होता रहा है आरएसएस में महिलाओं का सम्मान: भागवतआरएसएस के कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी डॉक्टर साहब (डॉक्टर हेडगेवार) के वक्त से ही हो रही है। अनसूइया काले से लेकर कई महिलाओं ने आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सेदारी ली। वैसे भी हम आधी आबादी को सम्मान और उचित भागीदारी तो देनी ही होगी। उन्होंने कहा, ‘जो काम पुरुष कर सकता है, वो सब काम मातृशक्ति भी कर सकती है। लेकिन जो काम महिलाएं कर सकती हैं, वो सब काम पुरुष नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा कि महिलाओं के बिना समाज की पूर्ण शक्ति सामने नहीं आएगी। आरएसएस प्रमुख ने पिछले दिनों कई मुस्लिम विद्वानों से बात की है। वो दिल्ली के एक मदरसे और मस्जिद में भी गए। इस लिहाज से माना जा रहा है कि इस बार के संबोधन में वो देश में हिंदू-मुस्लिम एकता पर अपना विस्तृत नजरिया पेश करेंगे। वैसे मोहन भागवत पिछले कुछ सालों से हिंदू-मुस्लिम एकता की भावना को बल देने वाले महत्वपूर्ण विषयों को कई बार उठा चुके हैं। उन्होंने एक भाषण में यह भी कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग क्या देखना। वो काशी में ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। भागवत यह भी कह चुके हैं कि आरएसएस ने विशेष परिस्थितियों के कारण राम जन्मभूमि आंदोलन में हिस्सा लिया था, अब उसका इस तरह का कोई और आंदोलन छेड़ने का नहीं है।

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